विषय: मुस्करा जिंदगी, मुस्करा
मुस्करा जिंदगी
धीमें से जरा मुस्करा
तेरे अधरों में प्यार रहे
नयनों में सपने हजार रहे
पर मायूसियों के बाजार से दूर रहे
मुस्करा....
मुस्कराना क्यों ? मत पूछना
गुलदस्ता, खुशियों का सजाना
फूलों का जैसे हर रंग होता, सुहाना
तेरा मुस्कराना, सजा देगा, हर वीराना
मुस्करा....
तिमिर, कितना ही गहरा क्यों ना हो ?
तुम वीर प्राणी, इतने उदास क्यों हो ?
बादल हर समय स्याह नहीं रह सकते
व्यथाएं हजारों, पर कदम रुक नहीं सकते
मुस्करा.....
आज जो कुछ हो रहा, सोच क्यों घबरा रहा ?
वक्त का पहिया टूट कर, नवसृजन के लिए जूझ रहा
कुछ नहीं तुम्हें करना, सिर्फ मुस्करा, सब सहना
याद रखना, जग के लिए अच्छा तेरा सदा हंसना
मुस्करा...
मुस्कराहटों की, जो खेती उपजाते
वो ही, सदा हर कोई को हँसते हँसाते
ऐसे महावीर का नाम से जो खिलखिलाते
वो फूल, सदा पॉवन बहारों मुस्कराते रहते
मुस्करा....
मुस्करा...
✍️ कमल भंसाली