आजादी की बात...
देश मे फैला है भ्रष्टाचार की गुलामी और हम मानवतावादी की बात करते है,
कुर्सी पर बैठे लोग ना जाने किस आजादी की बात करते है।
सैनिक सिमा पर सहिद हो गया,
किसान देह त्याग दिया फांसी कर।
बेरोजगारी में युवक चल बसा,
और माँ बाप मर चुके खांसी पर।।
और इस पर भी ना जाने हम किस हसीन वादी की बात करते है,
और कुर्सी पर बैठे लोग ना जाने किस आजादी की बात करते है।।
गरीब की बेटी भूख से मर गयी,
कंधे पर ढोया गया लास को।
चारो ओर है दर्द सा फैला,
और हम निकले है एक अच्छे जगह की तलाश को।।
हम तो ऐसे बन चुके है कि कुछ पल अपनों के पास बैठने पर समय बर्बादी की बात करते है,
और कुर्सी पर बैठे लोग ना जाने किस आजादी की बात करते है।।