ये तो संचार - क्रांति का ज़माना है,
हर किसी का मकसद सिर्फ रफ़्तार पाना है।
सब्र का फल आजकल किसी को भी नहीं भाता है,
अब तो हमारी भूख भी Instant - Food मिटाता है।
हर चीज़ को तो तुम Upgraded और Latest रखते हो,
फिर क्यों इतने बुझे - बुझे और Exhaust दीखते हो।
Skype से मीलों दूर बैठे लोगों से तो साक्षात बात करते हो,
पर पड़ोस में कौन रहता है इसकी खबर ही नहीं रखते हो।
चेनलों की भरमार है फिर भी कोई भी program लुभा नहीं पाता है,
वो पुरे मोहल्ले का एक साथ रामायण देखना बहुत याद आता है।
इस e - युग में संदेश तो मिनटों में पहुँच जाते है,
पर क्यूँ नहीं वो अंतरदेशी जैसी मिठास ला पाते है।
माना की Postcard संदेश कुछ देर से पहुँचाता था,
पर संदेश के मर्म और भाव को वो पूरे ढंग से समझाता था।
इस SMS से Msg तो झट - पट कंही भी पहुच जाते है,
पर Short रहने के चक्कर में आधे - अधूरे ही रह जाते है।
अंधाधुंध भागने से मंजिल हाथ नहीं आती है,
और गति की अति हो तो दुर्गति हो जाती है।
- दीपक