My Hopeful Poem...!!!
वह सुबह फिर से आएगी
जब कँधे पर जनाज़े के बजाय
दफ़्तर का बैग-ओ-सुकून होगा
वह सुबह फिर से आएगी
ग़ली-मोहल्लेमें एम्बुलेंस बजाय
बच्चों की स्कूल-वान खड़ी होगी
वह सुबह फिर से आएगी
बाग-ओ-मोल-ओ-थियेटर में
फिर एक बार वहीं रौनक़ आएगी
वह सुबह फिर से आएगी
क़िल्लत-ओ-ज़रूरत ओक्सिज़न
न बाय-बेक न वेनटिलेटर की होगी
वह सुबह फिर से आएगी
भीड़ न अस्पताल-ओ-शमशान या
क़ब्रिस्तानों में न सुनसान रास्ते होंगे
वह सुबह फिर से आएगी
चेहरों पे न ख़ौफ़ज़दा लकीरें होंगी
आँगन में त्योहारों की फुलझड़ी होगी
वह सुबह फिर से आएगी
न घर घर मातम न गली गली शोर
हर घर ख़ुशनुमा महफ़िल-सी होगी
वह सुबह फिर से आएगी
अपनापन-भाईचारा सौहार्द-पूर्ण
धर्मों से परे इन्सानियत-सी होगी
वह सुबह फिर से आएगी
मंदिरों में प्रभुजी की आरती होगी
मस्जिदोंमें पाँचों वक़्त अझ़ान होगी
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