माँ
माँ पर लिखने जब भी कलम उठाती हूँ
भाव शून्य से और शब्द मौन से और
हाथ जड़ हो जाते हैं....
कल्पनाओं को पंख नहीं मिलते
विचार गौण हो जाते
कागज कोरा रह जाता है.
सारा हुनर धरा का धरा रहता.
ज्ञान शून्य हो जाता है..
माँ के आगे सारा संसार बौना नजर आता है...
अर्चना राय
-Archana Rai