अपने बच्चों के पंख बनकर,
ख्वाबों को उड़ान देती..
तिनकों को इक्कठा करके,
वो सपनों का आशियाँ बुनती..
खुद सब मुश्किलें सहकर..
एक एक खुशियों को, आँचल में समेटा करती..
बीते वक़्त में गुजरे उसके त्याग के निशां है,
छोटे से आँगन में सिमटा वो मेरा सारा जहां है..
वो माँ है..वो माँ है.. हां वो मेरी माँ है..