समय की चाल,
चल रही विकराल।
रे मानव तु कर जतन,
ना होने दे ओर पतन।।
धरा कहे धीर धर,
हिम से क्षीर पर।
मुझे गहन निंद में सता मत,
करवट ली तो भयभीत हो जगत।।
तु सर्वश्रेष्ठ मानव बन,
बचा जल, धरा, गगन।
तु भर प्रफ्फुलित हो फुलो का र.स.,
नही चाहिए मुझे किसी कलम का नि.र.स.।।
-नि.र.स.