शुकून कहां है
प्यार कहां है
वक्त कहां है
रिश्ताें में
सब कुछ हां
सब कुछ
देख रहा वो
पर कुछ खोल
रहा न परतों में
डोर ये कैसी
कच्ची वाली
शोर बड़ा है
कमरों में
आज अचानक
सोच पड़ा वो
रह न पाया
ये सब देख कर
अपना आपा
खोल पड़ा
इंसानों की हालत
देखो ऐसा
कमरा बोल पड़ा ।।