गुजरते वक़्त के साथ,
हर वक़्त ख़्याल आया
कि तुम नही हो,
पर अब कभी-कभी खामोश सोचती हूँ..
तो लगता है तुम ही तुम थे हर वक़्त..
ख़ुशियों से गूँजती हर हँसी में तुम थे..
गुस्से से बिलखती हर "मैं" में तुम थे..
ज़िम्मेदारियों भरी धूप में,
जब थक गयी थी चलते-चलते..
तब फिर से जगती उम्मीद में सिर्फ तुम थे..
हां हाथ पकड़कर पास नहीं थे तुम..
पर मुझमें ही कहीं हमेशा साथ थे तुम..
चंद अल्फ़ाज़ नही बयां कर सकते लिखकर तुम्हें..
सिर्फ़ एक दिन का ख़्याल नहीं हो तुम..
मेरी पूरी ज़िंदगी का अनमोल अहसास हो तुम...
-Sarita Sharma