My Painful Poem ...!!!
बुझा कर हजारों
घर के मासूम चिराग़
वह कहता रहा
शहर में बिजली मुफ़्त हैं
जला कर सैंकड़ों
अपने ही देश के नागरिक
वह कहता रहा
चुनाव अभी बहुत बाक़ी हैं
जीत कर सारा
का सारा देश आडंबर के दम
वह कहता रहा
बंगाल जितना अभी बाक़ी है
लाशों की क़तार
शमशान-ओ-क़ब्रिस्तानों में
वह कहता रहा
अभी आईपीएल-खेल बाक़ी है
लठ़ क़ुदरत की
दिखाई तो नहीं देतीं बात सच है
पर जब पड़ती हैं
सब कहत है प्रभु का खेल अभी..
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