भारत में दिन ढला , रात आई !
कितनी मुश्किलों से बीत रहा है हर दिन !
अब आपके नाम-एक मुस्कुराहट
🌟सितारों की डोरी🌟
खिड़की के बाहर
ठिठकी विभावरी,
भीतर है कौन
सोच रही बावरी !
चुपके से आई
छिप चोरी चोरी
हाथों में थामे
सितारों की डोरी !
भीतर सरक आ
खिड़की तू फांद के
पलकों के झूले से
डोरी ये बाँध दे !
चाँदनी करे ना
फिर जोरा जोरी
निंदिया बुला दे,
गा प्यारी लोरी !
:नीलम वर्मा