My Spiritual Poem..!!!
यारों जो फ़कीरी मिज़ाज रखते है
वह अपनी ठोकरों में ताज रखते है
जिन्हें कलकी फ़िक्र हरगिज़ नहीं होती
जी हाँ पर मुट्ठी में वह आज रखते हैं
कहने को दिखाने को फ़क़ीर होते हैं
पर खुदाकी खुदाई के राज़ रखते हैं
ग़र देना चाहे तो जहाँ की ख़ुशी दे दे
जहाँ तो क्या रब की मालुमात रखते हैं
मिज़ाज उनके सब से अलग होते हैं
हर वक़्त अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं
जहाँ से बैंगाने पर प्रभु से एकान्त में
चारों प्रहर एक-सूँ-एकलिंग होते है
वह नसीबों से ग़र मिल जाएँ जिन्हें
जीते जी ख़ुशी मर के मुक्ति देते हैं
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