My Wonderful Poem..!!!
दिली जज़्बात पड़े हैं कोने में आज
हर बशर लगा पड़ा हैं रोने में आज
वही हालात आन पड़े हैं फिर वही
लोक-ड़ाउन खड़ा हैं देश में आज
गंभीर मर्ज़ की गंभीरता कोड़ी मोल
समज देखा अनदेखा करते रहे सब
कोड़ी-मोलभाव समज की क़ीमतों
को फिर मजबूरन झेलना है आज
ठोकरों का आदी मानव करता रहा
मनमानी सदियों से, दंडित है आज
कोरोना था तो कमज़ोर ही ज़ोर भी
जिंसें दिया बेपरवाह बंदों ने आज
लाखों जाने लाशों में तब्दील होने
पर भी सबक़ नहीं सीखा था आज
प्रभुजी ही अब तो जीवन नैया के है
खैवेया वही जानें आगे क्या होगा आज
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