My Meaningful Poem..!!!
मन के हारे हार है
मन के जीते जीत
मन ही पापी करे है
मन ही करे है प्रीत
मनकी बाज़ी लागें हैं
मन-द्रष्टि है असीम
मन ही मूवाँ है बावला
मन ही हैं त्रस्त व्याकुल
मन से बड़ा ना कोई
मन की मिसाल भी नहीं
मन जो भागें दीसें अतीत
मन जो लागें तो होय प्रीत
मनवा बेपरवाह हैं लाचार
मन से ही जन्में है हर बिचार
रघुवर कहलाए मनके प्रति
जो भी हुए हैं अप्रत्याशित
मन के मोज़ी जो जीवन जीएँ
प्रभुजी ही छाएँ रहे,वहीं हो प्रतीत
जो भी मन से ही बाज़ी मार ले
वहीं मन माँ फिर बसें सिफँ हरि-प्रीत
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