तू ना सही तेरी परछाई,
मां की प्यार की गहराई।
जब तूने कहा समझा नहीं कितनी है इसकी ऊंचाई?
मां बनकर मां !को जाना ,
सागर से गहरी उतराई ।
कहते थे यह, लोग सभी,
मां का कर्ज चुका ना पाई।
सबसे ऊपर मां का दर्जा
मां की ममता ही सच्चाई।
वेद ग्रंथ महा मुनियों ने भी,
मातृ प्रेम की महिमा गाई ।
-Namita Gupta