खिलती सुबह का कोमल रूप हो तुम,
शाम की मनमस्त पवन हो तुम,
मेरी मन्नत की दुआ हो तुम,
मेरी आशिकी की आरज़ू हो तुम,
मेरे नसों का नशा हो तुम,
मेरी शायरी की मोसकी हो तुम,
मेरे सफ़र की मंजिल हो तुम,
मेरे बेज़र खयालों में एक आशा हो तुम,
मेरे ईश्क की सरजमीं हो तुम,
मेरे दर्द का आराम हो तुम,
मेरे बंजर दिल में पानी का बुंद हो तुम,
मुरझाई सी शाख पे खिला फ़ूल हो तुम,
मेरी हसी की सिकन हो तुम,
कभी मीठी सी चांदनी हो तुम,
कभी तीखी धूप हो तुम,
मेरे नींद का ख़्वाब हो तुम,
मेरे गुलामी की सल्तनत हो तुम,
मेरे आंखों का आईना हो तुम,
मेरे आहट की आह हो तुम,
मेरा गुरुर मेरा सर्व हो तुम।....
-Dhvani Upadhyay