सपने में साहिर!
कल मेरे एक पुराने दोस्त मिले तो बड़े उदास थे। पूछने पर बोले- कल रात उनके सपने में साहिर लुधियानवी आए। मैंने कहा- माना कि साहिर आपके सबसे पसंदीदा गीतकार रहे हैं पर सपने में तो साहिर को नहीं, उन नायिकाओं को देखा करो जिन्होंने साहिर के लिखे गीत गाए हैं।
वे बोले- मज़ाक मत करो, साहिर मुझे मिले तो बहुत उदास थे।
- क्यों? स्वर्ग में कैसी उदासी? मैंने कहा।
वो बताने लगे कि इन दिनों धरती से जो भी लोग वहां जा रहे हैं उनकी खैरियत पूछने आने पर वो सब साहिर से बात तक नहीं करते, नाराज़ रहते हैं।
- लेकिन क्यों? साहिर ने क्या बिगाड़ा उनका? मैंने कहा।
- लोग समझते हैं कि साहिर के गीतों के कारण ही उन्हें दुनिया छोड़नी पड़ी। साहिर ने लिखा था... न मुंह छिपा के जियो और न सिर झुका के जियो। साहिर ने ही कहा था- दूर रह कर न करो बात करीब आ जाओ... इसी चक्कर में तो संक्रमित हो गए!