ये कैसा इश्क है तुज़से तेरी ना के बावज़ूद
दिल तेरे आने की उम्मीद लगाये बैठा है,
दिमाग़ लड़ पड़ता है इस बात पर लेकिन ये उसे भी
दिल की बाते है तेरी समझ में नहीं आयेगी
केहके चुप करवा देता है,
किसी और की मेरा प्यार पाने के लिये
की गई कोशिशे भी इसे छलावा लगती है
तेरे इंतजार में दिल बार बार तुटता है फिर भी
ये ना किसी और का होने देता है ना चैन से जीने देता है
ये कैसा इश्क है तुजसे ?
-Chandrika Gamit