विश्व पृथ्वी दिवस: प्रकृति का कर्ज उतारने का दिन
साल 1969 में कैलिफोर्निया में तेल रिसाव से भारी बर्बादी को देखने के बाद उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर इसकी शुरुआत करने का फैसला किया। इस दिन पर्यावरण संरक्षण और पृथ्वी को बचाने का संकल्प लिया जाता है।इस साल पृथ्वी दिवस की थीम “प्रोटेक्ट द स्पीशीज” यानि संततियों को बचाएं है। इसके तहत पेड़-पौधों और जीव-जन्तुओं को मानवीय क्रिया-कलापों से होने वाले खतरों के बारे में आगाह कर उनकी सुरक्षा करना है। हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी को एक बेहतर ग्रह बनाने के प्रति प्रतिबद्ध होने की जरूरत है। हमें जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।हमें प्रकृति के साथ सद्भाव को बढ़ावा देने और सतत विकास सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए।
आज समूचा विश्व वातावरण के प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। वैज्ञानिक तरक्की, आर्थिक विकास और बढती आबादी ने इसे प्रकृति और प्राकृतिक स्रोतों से वंचित करना शुरू कर दिया है। पानी की कमी, खेतीबाड़ी के मशीनीकरण, रसायनिक जहर का उपयोग व घटते जंगल विश्व के वातावरण पर बुरा प्रभाव डाला है।
पृथ्वी समूचे जीव जगत के जीवन की समस्त जरूरतों की पूर्ति का सामान अपनी कोख में संभालती आ रही है। हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहते हुये धरती मां की संभाल करनी चाहिए व अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। *#vasubapu #vijay *