माता के नौ रूपों को नौ नमस्कार नमस्कार..................... ब्रह्मदत्त
प्रथम➖1️⃣ जय मां शैलपुत्री दितीय2️⃣➖ ब्रह्मचारिणी तृतीय3️⃣➖ चंद्रघंटा चतुर्थ4️⃣➖ कुष्मांडा पंचम5️⃣➖ स्कंदमाता षष्ठी6️⃣➖ श्री कात्यायनी सप्तमी7️⃣➖ कालरात्रि अष्टमी8️⃣➖ महागौरी नवमी9️⃣➖ माता सिद्धिदात्री
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आज मां दुर्गा के आठवें रूप में महागौरी आपके घर घर में प्रवेश करेंगी🪔 माता महागौरी❗ आपको ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं समस्त भक्तों का बारंबार प्रणाम नमन नमस्कार है, जय मां अंबे, ❗जय जगदंबे, ❗जय मां भवानी, ❗जगत कल्याणी ❗यह है मां दुर्गा का
‼️""श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्""‼️
➖➖❗❗❗➖➖❗➖
ईश्वर उवाच
➖➖❗❗❗➖➖❗➖
शतनाम प्रवक्ष्यामि श्रृणुष्व कमलानने।
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत्
‼️‼️‼️‼️‼️‼️‼️‼️‼️
सती॥१॥
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी ।
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी॥२॥
पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपा:।
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चिति:॥३॥
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरूपिणी।
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागति:॥४॥
शंकरजी पार्वतीजी से कहते हैं – कमलानने ! अब मैं अष्टोत्तरशतनाम का वर्णन करता हूँ, सुनो ; जिसके प्रसाद ( पाठ या श्रवण ) मात्र से परम साध्वी भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं॥१॥
१. ॐ सती ,२. साध्वी,३. भवप्रीता ( भगवान् शिवपर प्रीति रखनेवाली)४. भवानी,५. भवमोचनी (संसार बंधनों से मुक्त करनेवाली)६. आर्या,७. दुर्गा,८. जया,९. आद्या,१०. त्रिनेत्रा ,११. शूलधारिणी,१२. पिनाकधारिणी,१३. चित्रा,१४. चण्डघण्टा ( प्रचण्ड स्वर से घण्टानाद करनेवाली)१५. महातपा ( भारी तपस्या करनेवाली)१६. मन (मनन करनेवाली)१७. बुद्धि (बोधशक्ति)१८. अहंकारा ( अहंताका आश्रय )१९. चित्तरूपा,२०. चिता,२१. चिति (चेतना)२२. सर्वमन्त्रमयी,२३. सत्ता (सत् – स्वरूपा )२४. सत्यानन्दस्वरूपिणी,२५. अनन्ता (जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं)२६. भाविनी ( सबको उत्पन्न करनेवाली )२७. भाव्या (भावना एवं ध्यान करनेयोग्य)२८. भव्या ( कल्याणरूपा)२९. अभव्या ( जिससे बढ़कर भव्य कहीं है नहीं )३०. सदागति
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा।
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षयज्ञविनाशिनी॥५॥
अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती।
पट्टाम्बरपरीधाना कलमञ्जीररञ्जिनी॥६॥
अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी।
वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता॥७॥
ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा।
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृति:॥८॥
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा।
बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना॥९॥
निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी।
मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी ॥१०॥
सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी।
सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा॥११॥
३१. शाम्भवी (शिवप्रिया)३२. देवमाता,३३. चिन्ता,३४. रत्नप्रिया,३५. सर्वविद्या,३६. दक्षकन्या,३७. दक्षयज्ञविनाशिनी३८. अपर्णा (तपस्या के समय पत्ते को भी न खानेवाली)३९. अनेकवर्णा ( अनेक रंगोंवाली)४०. पाटला ( लाल रंगवाली)४१. पाटलावती (गुलाबके फूल या लाल फूल धारण करनेवाली)४२. पट्टाम्बरपरीधाना ( रेशमी वस्त्र पहननेवाली)४३. कलमंजीररंजिनी ( मधुर ध्वनि करनेवाले मंजीर को धारण करके प्रसन्न रहनेवाली)४४. अमेयविक्रमा ( असीम पराक्रमवाली )४५. क्रूरा ( दैत्यों के प्रति कठोर )४६. सुन्दरी,४७. सुरसुन्दरी,४८. वनदुर्गा,४९. मातंगी,५०. मतंगमुनिपूजिता,५१. ब्राह्मी,५२. माहेश्वरी,५३. ऐन्द्री,५४. कौमारी,५५. वैष्णवी,५६. चामुण्डा,५७. वाराही,५८. लक्ष्मी,५९. पुरुषाकृति,६०. विमला,६१. उत्कर्षिणी,६२. ज्ञाना,६३. क्रिया,६४. नित्या,६५. बुद्धिदा,६६. बहुला,६७. बहुलप्रेमा,६८. सर्ववाहनवाहना,६९. निशुम्भ-शुम्भहननी,७०. महिषासुरमर्दिनी,७१. मधुकैटभहन्त्री,७२. चण्डमुण्डविनाशिनी,७३. सर्वासुरविनाशा,७४. सर्वदानवघातिनी,७५. सर्वशास्त्रमयी,७६. सत्या,७७. सर्वशास्त्रधारिणी
अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी।
कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यति:॥१२॥
अप्रौढ़ा चैव प्रौढ़ा च वृद्धमाता बलप्रदा।
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला॥१३॥
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी।
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी॥१४॥
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी।
कात्यायनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी ॥१५॥
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम्।
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति॥१६॥
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च ।
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम्॥१७॥,
७८. अनेकशस्त्रहस्ता,७९. अनेकास्त्रधारिणी,८०. कुमारी,८१. एककन्या,८२. कैशोरी,८३. युवती,८४. यति,८५. अप्रौढ़ा,८६. प्रौढ़ा,८७. वृद्धमाता,८८. बलप्रदा,८९. महोदरी,९०. मुक्तकेशी,९१. घोररूपा,९२. महाबला,९३. अग्निज्वाला,९४. रौद्रमुखी,९५. कालरात्रि,९६. तपस्विनी,९७. नारायणी,९८. भद्रकाली,९९. विष्णुमाया,१००. जलोदरी,१०१. शिवदूती,१०२. कराली,१०३. अनन्ता(विनाशरहित),१०४.
जय माता की, जय माता की, जय माता की, प्रस्तुतीकरण➖ ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़