Hindi Quote in Poem by Arjun Allahabadi

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गुफ्तगूँ अब होती कहाँ है किसानों की चौपाल में।
अब तो भीड़ लगा करती है सरपंच के दालान में।

नित नए चुनावी वादे करते विधायकी अंदाज़ में।
गाँव के लोग उलझ गए हैं इनके बिछाए जाल में।

ले कर रुपया लिख दिया खेल का मैदान भी।
बन गए हैं पक्के मकान पोखर और ताल में।

लेखपाल बिक गया एस डी यम के साथ साथ।
बी डी ओ भी लूटता है भेड़िये की खाल में ।

गॉंव की कार्य योजना बह गई दबंगई बयार में।
सरपंच के साथ सेक्रेटरी झूमते बीयर बार में।

गांव के कुछ होशियार उलझे हैं इस सवाल में।
चुनेंगे हम नया परधान फिर से नए साल में।

गॉंव अब जल रहा"अर्जुन" रोज़ नए बवाल में।
छोड़ कर हम जाएं कहाँ इसे ऐसे हाल में।

-Arjun Allahabadi

Hindi Poem by Arjun Allahabadi : 111685135
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