Hindi Quote in Poem by अनुभूति अनिता पाठक

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वो दादी - नानी का अब वैसा समय ना रहा
बचपन कब निकला जाने कब आई जवानी

आज रह गए हम चार कमरों में यूं हीं तन्हा
जिंदगी आगे निकल गई पीछे छूट गई कहानी

तब हम उड़ान भरते थे, अपना दम भरते थे
आज ज़मीं पर हैं और आंखों में है पानी

-अनुभूति अनिता पाठक

Hindi Poem by अनुभूति अनिता पाठक : 111678795
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