जीवन की मधुशाला में,
हर शख्स नशे में डूबा है।
है कोई मदहोश सत्ता के नशे में,
तो किसी को है गुरूर धन दौलत का।
कोई रूप यौवन के गर्व से फूल है
तो कोई सफलता में झूमा है।
जीवन की मधुशाला में
हर शख्स नशे में डूबा है।
जाते जाते इक दिन ये सता
भी चली जाएगी।
धन और दौलत की माया,
सैदैव ना रह पाएगी।
रूप के बहार का भी तो,
एक दिन पतझड़ आएगा।
सदा ना रहा ये चढ़ता सूरज,
शाम को ढल जायेगा।
जैसे हर नशा ही उतरा है,
ये भी उतर जायेगा।
जीवन की मधुशाला में
हर शख्स नशे में डूबा है।