काफी तजुरबे के बाद ये तय हुआ, लोग शिर्फ अपने लीये ही जीते है, अपने बारे मे ही सोचते है,अपनी लीए ही खुशीया ढुंढते है, फिर उनसे उम्मिद रखना अक्ल मंदी होगी? यार हमारा जन्म हुआ है जरूरत मंद लोगो के लीऐ , उन्है हीमत होसला प्यार देने के लीऐ, और उनका लेने के लीए,
-Ruturaaj Hemant