Hindi Quote in Poem by Astha S D

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अलग सोच अलग परिवेश का- 12 लोगों का कारवा चला था |
थोड़ा धर्म के प्रति आस्था और थोड़ी मस्ती लिए छत्तीसगढ़ का जलवा चला था |
7 लड़कियों के बीच 5 लड़के हमारी मातृभूमि में हमारी विशेषताओं की आन थी |
हमारे पीछे चलने वाले पांच पुरुषों का रेला मातृशक्ति की पहचान थी|
कभी चलते कभी दौड़ते कभी उड़ते हंसते हंसाते मौज मस्ती के रेले थे |
हरिद्वार से ऋषिकेश तक कभी कोई किसी न किसी के चेले थे |
देखा देखी कुछ तो था पर जबरदस्ती कुछ भी ना था |
बार-बार सभी के दिल में फैशन को खुद पर आज माना था पर जलन जैसा कुछ भी ना था |
इस पूरे कारवां में चलो सभी की विशेषता बताते हैं कभी अच्छा तो कभी बुरा बतलाते हैं |
टीम लीडर में पिंकी और विनय थे पर पूरे यात्रा में विनय का टशन कहीं नहीं था |
वैसे तो पिंकी हमारी टीम लीडर हमेशा अग्रगामी थी परंतु सभी सदस्यों के प्रति जिम्मेदारी कहीं नहीं थी |
हमारे टोली में दो ऐसे दोस्त भी थे जिसके सामने बाकी दस का अस्तित्व बिल्कुल नहीं था |
12 लोगों में 4 लड़के ऐसे भी थे जिनके सामने इन दोनों की कोई पहचान नहीं थी |
भगवती बबीता अच्छे दोस्त थे परंतु दोनों में साथ चलने का मोह नहीं था |
हरफनमौला मंगल की क्या बात कहूं उसका अंत में गुस्सा होना सही नहीं था |
थोड़ा पी लेने के बाद भी शिवधारी की आवाज में भी कोई दम नहीं था |
दुष्यंत का अपने ही दोस्तों से वार्तालाप इस टोली के नियमों में सही नहीं था |
कान्हा का स्पोर्ट्स प्रेम ऋषिकेश की पावन भूमि पर उचित कहां था |
चिंटू के लिए 10 का ग्रुप था थोड़ा देख तो लेते इधर-उधर विनय भी वहीं था |
धारणा के साथ हम 6 लड़कियां भी तो थी वहां केवल विनय ही कहां था |
बबीता के लिए बाजार था फैशन था खर्राटा था बस बाकी के लिए नींद नहीं था |
एक चुप सी शांत सी सांवली सी लड़की आशा थी पूरी दुनिया उसकी थी पर उसका बाबू वहां नहीं था |
वैसे तो भगवती को स्पोर्ट्स करना था परंतु उसके घुटनों का वहां साथ नहीं था |
अब मैं अपनी बात क्या कहूं मैं मस्त फकीरी कबीरी सोच कि मेरे लिए सब ठीक-ठाक था
इधर उधर क्या देखती मैं वहां, बस तबीयत ही थोड़ा ठीक नहीं था |
आस्था

Hindi Poem by Astha S D : 111674216
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