My Woman’s Day Poem.!!
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अर्ज किया है माथे पर
लहू और सर पर रेत,
क्योंकि फूल मारा
उसने गमले समेत 🙈🙊
तीखे थे उस के तैवर
बाँवरे थे तन के झैवर,
भड़कीली-सी थी ऑंखें
उस पर नशीले-से थे नैन,
आव देखा ना ताव मनचलै
के वार पे किया पलट वार,
हसीना बनी झाँसीकी रानी
पगले के सर पे बनी नई निशानी।
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