1->बिगरी सुधारो मोहन, मन को तारो सोहन।
अंखियों के तारे,प्राण पियारे
जाय छुपे कंहवा.....
तुम बिन मोरी कौन सुने है-2, नन्ददुलारे न्यारे रोहन.....!बिगरी सुधारो....
2->बैठा हुं नाथ तुम्हें बिसराई,जानूं मैं तुम्हरीऽ ठकुराई।
जगत अधारे, हूँ दीन पुकारे
जाय बसे कहवां.....
बिनती करूं,मोरी आन न कोऊ-2,गोऽप सखा रे मतवारे.....! बिगरी सुधारो....
3->दिन-दिन बाढ़त जात बदरिया,आए न तुम इस दास नगरिया।
राधे संगीऽ,ओ अडभंगी,राह तिहारो जोहां....
लेओ सुधी हे, बांकेबिहारी-2,गिरवरधारी, प्रीतम प्यारे......!बिगरी सुधारो....
-सनातनी_जितेंद्र मन