ऐसा क्यों 'U-turn' लिया तूने ए ज़िंदगी,
महेसूस नहीं होती आज, ख़ुशी दिन भी ख़ुशी!
काटने पर क्यों तुली हो पंख मेरे ए ज़िंदगी,
अभी तो सीखा है मैंने उड़ना, बनके तितली!
क्या अच्छा नहीं लगा मासूम रहना तुझे ए ज़िंदगी,
समय क्यों ऐसा लाई, जहां रखनी पड़ी इतनी समजदारी!
क्या साथ नहीं दोगी तुम मेरा ए ज़िंदगी,
तुम ही तो हो, मेरी हमसफ़र मेरी हमराही!
ओर कितनी परीक्षा लोगी तुम ए ज़िंदगी,
कभी तो आ मेरे पास, बनके मेरी उत्तरवही!
रुठ क्यों जाती हो यूं बार-बार मुझसे ए ज़िंदगी,
तू तो बनजा, मेरी पक्की वाली सहेली!
कौन कहता है तुम ही खूबसूरत हो ए ज़िंदगी,
तारीफ़ तो हमने भी सुनी है, हम भी कुछ कम नहीं!
- BhAkTi SoNi