चलो रे सखी खेल आवें,होली को खेलवा...
द्वारे बन्दनवार लगायें,सुन्दर से पकवान सजाएं.....!
सुंदर-सुंदर थार मंगाएं,वा पे अबीर-गुलाल रखाएं...
तिलक लगा लें आशीष बड़न का,वही आदर्श जगाएं.....!
सगे-संबंधी से हिल-मिल के,खूब धूलंड़ी मचाएं...
वैरी मन निज रंग में रंग के,जीवन सुफल बनाएं.....!
प्राकृत रंग की लेके पुटरिया,चलो-चलें उस देश गुजरिया...
नन्दगांव-बरसाने-मधुबन में,ब्रजनंदन संग धूम मचाएं.....!
रंग केसरिया-श्वेत-रक्त से,ओत-प्रोत हो जाएं...
बहुविध राष्ट्र प्रेम की,हवि जन-मन भर आएं.....!
-सनातनी_जितेंद्र मन