My Evaluation Poem ...!!!
यारों हम नहीं जानते अपनी क़लम
🖊 से लिखें अल्फ़ाज़ों की ख़ूबी
हाँ मगर लोग अक्सर हमें क़हतें है
कि आप बहुत ही अच्छा लिखते हैं
हमें चाहनेवालोंका आभार शुक्रिया
या धन्यवाद हम करें तो भी कम है
बिना बाती जैसे चिराग़ न जलें हैं
बिना हौसला अफजाई फ़न कम है
दम-ख़म शायरी का भी पढ़नेवालों
कि दाद-ओ-रुबाई बग़ैर बे-दम है
रंदीप-क़ाफ़ियों की बुनाई 🧶 भी
तो कशिश-ए-ज़हन की फसल हैं
ख़्यालों की गहराई ग़र प्रभु-परस्त
न हो तो शायरी भी तों बेजान ही है
माना आसान तो नहीं हर लफ़्ज़को
नाप-तोल तोड़-मरोड़ कर जोड़ना
पर शायद हरि-चरण आशीर्वाद
ही रवानी-ए-क़लम की शाही है
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