आँखों में जब नमी होती है
तब बात तुम्हारी होती है
भूली बिसरी कोई याद आ जाती है
अधरों पर मुस्कान सिमट आती है
मन ही मन कह लेती हूँ तुमसे
अपने अहसास जो तुमसे पाये हैं
जब भी मन करता कुछ दूर चल लेती हूँ
थाम तुम्हारा हाथ हर मुश्किल हल कर लेती हूँ
चलते- चलते जब थक जाती हूँ
रखकर सिर तेरे कंधे पर
कुछ देर को सो जाती हूँ
हर बात तेरी ,हर याद तेरी
अपने अंदर जिंदा रखा है
प्रेम को आंखों की नमी बना रखा है।।