हर एक धोखे का किस्तों में हम हिसाब लिखेंगे।
इंतज़ार कर ये जिंदगी एक दिन तुझे जवाब मिलेंगे।
हम मोम नहीं जो ज़रा सी तपन पर पिघल जाएं।
इतना यकीन है कि एक दिन इंकलाब लिखेंगे।
मौसम क्यों न रूठ जाए क्यों न पतझड़ आये ही।
बरसात होगी जोरों से और चप्पे चप्पे फूल खिलेंगे।
-Arjun Allahabadi