हे मेरे सुंदर श्याम कुंज बिहारी,
मुजे लगनी रे लागी तिहारी ।
मूर्ति मनोहर श्याम को देखन,
सुधबुध अपनी मै तो गई विसारी ।
भोर से ले के मै शाम तक,
खोवत रहेती हूं बनके मै बावरी ।
मुरली की तान मे सबको नचाता,
तु जादूगर कितना बड़ा है मदारी ।
धन्य हो गई मै जोगन बनके तेरी,
मिल गई मुझे तेरे प्रेम की पिटारी।
अब जग से मुझे कैसा मोह?
एक श्याम सूरत लगी है प्यारी।
-Daxa Parmar Zankhna.