किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है
कहाँ हो तुम के ये दिल बेक़रार आज भी है
किसी नज़र को तेरा...
वो वादियाँ वो फ़ज़ायें के हम मिले थे जहाँ
मेरी वफ़ा का वहीं पर मज़ार आज भी है
किसी नज़र को तेरा...
न जाने देख के क्यों उनको ये हुआ एहसास
के मेरे दिल पे उन्हें इख्तियार आज भी है
किसी नज़र को तेरा...
वो प्यार जिसके लिये हमने छोड़ दी दुनिया
वफ़ा की राह पे घायल वो प्यार आज भी है
किसी नज़र को तेरा...
यकीं नहीं है मगर आज भी ये लगता है
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी है
किसी नज़र को तेरा...
न पूछ कितने मोहब्बत के ज़ख़्म खाये हैं
कि जिनको सोच के दिल सोग़वार आज भी है
वो प्यार जिसके लिये...