#गुंडागर्दी_बंद_करो
कहते हो तुम खुद को किसान,
न है उसका कोई नामो-निशान।
ये दहशतगर्दी नहीं स्वाभाव उसका,
है हरकत तुम्हारी सब खालिस्तान..।।
बहुत हो चुका अब संविधान-2,
ठोको इनका करो तुम निदान।
भारत के संप्रभुता की रक्षा हेतु,
करदो नाटक पर पूर्ण-विराम।।
हैं बैठे आन-बान की रक्षा को,
जो पत्र-श्वेत संकल्प लिए शान से।
खोलो आंखों को तुम अपने,
करो इनका जो हो विधान।।
-सनातनी_जितेंद्र मन