#फतह
हर कोई चाहता है करना फतह
फहराना अपनी कामयाबी का परचम
पर
उससे पहले
ऊबलना पङ़ता है
कठिनाइयों की कङाही में
साफ करने पङ़ते हैं
मुसीबतों के जाले
थाह लेनी पङती है
उन सुरंगों, घाटियों को
जहां सदियों से
किसी ने पांव नहीं रक्खा
चढ़नी पड़ती है चढ़ाई
लहूलुहान कदमों से।
सिकन्दर होने के लिए
चाहिए अडिग संकल्प
महावीर बनने के लिए
अविचल तपस्या
जीतना पङ़ता है
खुद से खुद को
हां.... खोना भी पङ़ता है
खुद में खुद को।
क्यों कि फतह
नहीं है
नानी के घर का लड्डू
कि आपको
सीधे ही मिल जाए।
डॉ पूनम गुजरानी
सूरत