श्याम मेरेऽऽ घनश्याऽऽम जू.-
-रह-रह तुम्हरीऽ टेऽर लगाऊँ
बिसरा गए क्यूँ हृदयधाऽम जू-श्याम
देखा नहीं बस सुना-सुना है-
-कुछ ही जानूं कुछ अनसुना है
तुम्हीं हो दीनबंधू कृपाऽल जू-श्याम
नाम तिहारो किस विध गाऊं-
-कैसे तुम्हारा ध्यान लगाऽऊँ
टूटे मन-वीणा के हैं ताऽर जू-श्याम
😢😢😢😢
-सनातनी_जितेंद्र