यूं ही बैठी सोच रही थी मैं
क्या है ये जिंदगी…?
ख्वाब में डूबी…
लगा ख्वाब है जिंदगी…
अगले ही पल हकीकत से रूबरू हुई…
लगा हकीकत है जिंदगी…
क्या है ये जिंदगी…?
हां…ख्वाब और हकीकत के बीच का फासला है जिंदगी…!
फिर सोचा तो कुछ पाने की चाहत हुई…
लगा चाहत है जिंदगी…
फिर लगा कैसे… संघर्ष से…?
लगा संघर्ष है जिंदगी…
क्या है ये जिंदगी…?
हां…चाहत से संघर्ष का सफर है जिंदगी…!
अगले ही पल तड़पी यूं दर्द से...
लगा दर्द है जिंदगी…
फिर झूम उठी यूं खुशी से…
लगा खुशी है जिंदगी…
क्या है ये जिंदगी…?
हां…दर्द और खुशी की प्रीत है जिंदगी…!
दर्द से उभरने का हौसला मिला…
लगा हौसला है जिंदगी…
उम्मीद की एक किरण झलकी…
लगा उम्मीद है जिंदगी…
क्या है ये जिंदगी…?
हां…उम्मीद और हौसला ही तो है जिंदगी…!
यूं ही सोचते-सोचते समझ आया…
ख़्वाब,हकीकत,चाहत, संघर्ष,दर्द,खुशी,उम्मीद और हौसले के संगम का खूबसूरत-सा एहसास है जिंदगी…!
इसलिए क्यूं मर-मर कर जियें...
क्यूं ना हर पल को जी कर मरें…
क्योंकि सांसों का एक सफ़र है जिंदगी…!
-Naina Gupta