___ उदासियाँ ___
हो गया हैं ऐ दिल इतना बेक़रार....
तुम्हें बताए कैसे, तुम्हें समझाएं कैसे ??
विरान सी हो गई साँसों की सलवटें
थम सी गई रूह की बरकतें ,
रूठ सी गई व्याकुल मन की आहटें
ढ़ल सी गई बैचेन तन की चाहतें ।
अब कब छट जाए
ये घनघोर उदासियाँ....
जरा तुम आकर कर दों
बेगाने जिस्म की मरम्मत
ताकि सारे भाव सार्थक बनकर ,
प्यार को पुनर्जीवित कर दें !
बंजर हृदय भी खुशहाल हो जाए ।।
-© शेखर खराड़ी ( ८/१/२०२१)