मैं रूठूं गर तुम मनाया करो,
मेरे उदासियो में गले से लगाया करो।
गर ना मानूं फिर भी,
हक़ से डांट कर मुझे समझाया करो।
पर, कभी भी छोड़ कर जाने की
बात ना दोहराया करो।।"
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"तूं जो रूठे तो मनाऊँ भी,
अपने गले से लगाऊँ भी,
अपनी बातों से तुम को हंसाऊँ भी,
ठहर जाएंगे वक्त सूख जाएंगे आँसू भी,
चेहरे पर खुशियों की मुस्कान ले आऊँगा।
मैं इस क़दर शब्दों का फूल बरसाउंगा।
वादा है तुमसे कभी छोड़कर नहीं जाऊँगा।।"
अम्बिका झा 👏
-Ambika Jha