रास्ते भटक चला
रह गया अकेला!
खुशियों के सफर में
न जाने गमों ने क्यों घेरा!
साथ सब हम साथ
फिर भी थे अकेला!
रास्ता भटक गया
टूट चुका हूं,थम चुका हूं
रह गया अकेला!
हर बार कर कोशिश
आगे चला जाता हूं
गिरता हूं उठता हूं
फिर बड़े चला जाता हूं!
खो गया उजालापन
रह गया अंधेरा
रास्ता भटक गया
है कारवां का मेला!
हर ओर अकेलापन
हर ओर गमों का मेला
रहा ना अब कोई मेरा!
रात अंधेरी करटती है
ना होता है अब सवेरा!
चल बसी है जिंदगी
पर ना कोई है अब मेरा!
ना कोई अब सवेरा
रास्ते भटक गया
रह गया अकेला!
-Maya