My Wonderful Poem...!!!
बहते लहूँ की रंगों में बहते
ख़्यालों की मुकम्मिल पकड़ 🪤
ग़र नसीब बंदे को हो जाए
फिर न रहे अकड़ न ही जकड़
अल्फ़ाज़ो के इस्तेमाल की
व्यवहारों स्वभाव में न बचें रगड़
बदले जीवितोंको देखने का
नज़रिया,न रहे उत्थापन न जलन
अर्थ-अनर्थ के कारण व्यर्थ
सारें ही अर्थ दिखेंगे कलियर कट
तीसरी नेत्र पाना है मुश्किल
माना मगर नहीं नामुमकिन डगर
खुद से लड़ना ख़ुद ठानें ग़र
बंदा तो प्रभुजी भी दे दे वह नज़र
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