My New Year Poem...!!!
मसाहिल, ग़म, परेशानी,
मुश्किलें सभी कुछ आते रहे
यूँ तो गुज़ारी फिर भी
हंसते-मुस्कुराते ज़िंदगी हमने
दुशवारीआँ, बीमारियाँ,
जालसाज़ीयाँ,मजबूरियाँ आते रहे
पिछले बरस अनगिनत
लोग इस फ़ानी दुनियाँ से जातें रहे
अति-सूक्ष्म कोरोना नामक
कीटाणु 🦠 सारे जहाँ को डराते रहे
बरसोंसे पशुओंको जो मास्क
पहनाएँ, हम पहनने पे मजबूर होते रहे
प्रभुजी प्यार से मानव-जातकों
समझाए, मनमानी पर मानव करते रहे
आख़िरकार प्रभुजी मजबूर हो के
मानवीय मानवता कोरोना से जताते रहे
आज़ मानव-क़द निम्नतम-क़द
की हर सीमाएँ समज मजबूर होते रहे
पार्थक्य वाक्यांश प्रार्थना 🙏
अगले बरस प्रभु-कृपा-द्रष्टि करते रहे
✍️🥀🌹🌹👀🙏👀🌹🌹🥀✍️