Hindi Quote in Poem by Manoj kumar shukla

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2021 वर्ष पर नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

ग्यारह दोहे लिख रहे, पढ़ो प्रेम से यार।
नया वर्ष मंगल रहे, हो आपस में प्यार।।

लेकर खुशियाँ आ रहा, अब तो है इक्कीस।
भूलो बिसरो बीस को, ईश्वर का आशीष।।

वर्ष वायरस का रहा, दो हजार वह बीस।
लोहा लेने चल पड़ा, देखो यह इक्कीस।।

अवसादों से है घिरा, बीत गया वह साल।
उथल-पुथल भी कर गया, जगत् रहा बेहाल।।

बिल से निकले सर्प भी, डसने को तैयार।
बीन सपेरों ने बजा, डाला कारागार।।

टुकड़े-टुकड़े गैंग ने, खूब मचाई धूम।
ढपली लेकर पिल पड़े, आजादी की बूम।।

सत्ता की चाहत बुरी, बुरी हुई है चाल।
नाजुक से हर मोड़ पर, खींच रहे थे खाल।।

घिरे रहे धृतराष्ट्र भी, पुत्र मोह के पाश।
धर्म के रक्षक कृष्ण थे, हुआ अंततह नाश।।

चीर हरण भी हो गया, था दुःशासन हाथ।
शकुनी की हर चाल में, दुर्योधन का साथ।।

एक तरफ पाँडव रहे, कौरव दूजी ओर।
धर्म ध्वजा लेकर चले, किया कृष्ण ने भोर।।

विजयी मानव हो गया, जो था संकट काल।
मिली अभी वैक्सीन है, होंगे फिर खुशहाल।।

बुझी जिंदगी है हँसी, तन-मन हुआ गुलाब।
चली हवाएँ प्यार की, महका प्रेम शवाब।।

मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "

Hindi Poem by Manoj kumar shukla : 111637173
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