My Meaningful Poem...!!!!
यारों फ़र्क़ नही पड़ता हमें
कि जहाँ वाले क्या सोचते हैं
फ़ख़्र है हमें अपनी शान पर कि
माँ हमारी हमें अच्छा कहतीं हैं
कब किसे किसने इस जहाँ में
भला-अच्छा कहाँ ओर तो ओर
जहाँ वालों ने तो संत-साधु पीर
फ़क़ीर बुझूँगो को भी नहीं बख़्शा
ग़रज़ कौन हमें क्या कहेगा क्या
सोचेगाकी फ़िक्र छोड़ प्रभुजी क्या
चाहते हैं किस लिए हमें जीवनक्रम
अता किया यही सोच कमँ किए जा
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