"सच्ची चाहत प्यार की"
कट जाएंगे बिखर जाएंगे तेरी चाह में,
मगर बहेक जाए तेरे प्यार में नहीं है हम।
चाहा है हमने दिल से अपने आप से ज्यादा तुम्हें,
यूं दिल की कैदसे हम आजाद होने नहीं देंगे तुम्हें।
तुम जिसे चाहो अपने दिल से यह हक है तुम्हारा,
मगर तुम्हारे अलावा ख्वाब भी किसी का देखते नहीं हम।
प्यार को खेल समझ कर खेलो यह फितरत होगी शायद तुम्हारी,
हम प्यार को सजदा समझते खुदा की यह फितरत है हमारी।
सच्चा प्यार है एक ऐसा तोहफा खुदा का जो हमें मिला नहीं,
मिल जाए अगर यह तोहफा "मित्र" को शुक्रगुजार होंगे हम।
✍️मनिष कुमार "मित्र" 🙏