"तेरे दिल की खिड़की कहो कब खुलेगी।
सपनों में आकर कहो कब मिलोगी।
यादों में तेरी में भरता रहूँ आहें,
सुबह शाम दिल तुम्हें देखना चाहे।
रातों को नींद भी आती नहीं है,
सपनों में आकर तू सताती नहीं है।
मन के भाव कब तक इग्नोर करोगी,
कहो मेरे खामोशियों को कब सुनोगी।
तेरे दिल की खिड़की कहो कब खुलेगी।
सपनों में आकर कहो कब मिलोगी।।"
अम्बिका झा 👏
-Ambika Jha