My Wonderful Poem..!!!
इन्सान खुद ही अपने ख़्यालों के
ताने बुन के ख़ुशफ़हमी में जीता
इन्सान खुद ही अपने ख़्यालों के
धागे फ़िरोके ग़लतफ़हमी में जीता
इन्सान खुद ही अपने ख़्यालों के
दाने गिन रिश्तों की लड़ी फिरौता
इन्सान खुद ही अपने ख़्यालों के
तसव्वुर संजोके ख़्वाब सच करता
इन्सान खुद ही अपने ख़्यालों के
एहसासों से बुलंदियों को भी छूता
इन्सान खुद ही अपने ख़्यालों की
बद-ख़्याली से अपनों से दूर होता
इन्सान खुद ही अपने ख़्यालों की
गहराईयों को भूल प्रभु से दूर होता
ग़रज़ कि एक ख़्याल की दौलत
को ही गर इन्सान समझ ले तो...!!!
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