My Wonderful Poems...!!!
अपनी "ताकत" पर लोग
इतना, क्यों इतराते है ।
दरवाजे उनके भी टूटते है
जो खुद”ताले" बनाते है।
कर के शौक़िया किए है
बच्चे प्यादा तो पालने होंगे।
नसीहतों के उपदेश से तो
पेट बच्चों का भरता नही।
क्या ख़ूब चक्रव्यूह रचा है
प्रभुने हँसके बड़े करते है।
एक औलाद की मोहब्बत
पर जीदगीं क़ुरबाँ करते है।
निठल्ले कुछ एसे भी होते है
बूढ़े माँ-बारको वृद्धाश्रम देते है।
दरवाजे उनके भी टूटते है
जो खुद”ताले" बनाते है।
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