जिंदगी का घर आना
अर्द्ध निमिलित पलकों का खुलना
संगीत की धुन से,
ओस की ताजगी का उतर आना
पर्दे से खिड़की के भीतर,
सूरज की रोशनी से भर जाना,
कमरे का तैयार बिस्तर,
प्रत्येक सांस से भरने लगना
नासिका में प्राण वायु,
उठते ही मिलना टेबल पर रखा
गरम चाय का प्याला,
जिंदगी का गुनगुनाना हर तरफ,
सुबह छह बजे
अचानक सोए हुए घर में
जीवन का आ जाना,
अलसाये दिनचर्या का
दुरुस्त हो जाना और
देर तक सोने वाले बच्चों का
समय से जग जाना,
कुछ अद्भुत हुआ है कहीं शायद,
हां, मां घर आई है।